Off Grid On Grid Solar System | Keep These Things In Mind When You Buy Solar System | सोलर सिस्टम खरीदने जाएं तो इन बातों का रखें ध्यान - NEWS SAPATA

Newssapata Brings You National News, National News in hindi, Tech News. Rajasthan News Hindi, alwar news, alwar news hindi, job alert, job news in hindi, Rajasthan job news in Hindi, Competition Exam, Study Material in Hindi, g.k question, g.k question in hindi, g.k question in hindi pdf, sanskrit literature, sanskrit grammar, teacher exam preparation, jaipur news, jodhpur news, udaipur news, bikaner news, education news in hindi, education news in hindi rajasthan, education news in hindi up,

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Tuesday, May 19, 2020

Off Grid On Grid Solar System | Keep These Things In Mind When You Buy Solar System | सोलर सिस्टम खरीदने जाएं तो इन बातों का रखें ध्यान

Off Grid On Grid Solar System | Keep These Things In Mind When You Buy Solar System

सोलर सिस्टम खरीदने जाएं तो इन बातों का रखें ध्यान

 

 

दोस्तों आजकल बिजली बहुत महंगी हो गई है और आगे अधिक महंगी हो जाएगी। इसलिए ऐसी युक्ति की जरूरत है जिससे न केवल हमें बिजली लगातार मिलती रहे बल्कि खर्च भी कम हो। इसके लिए हमें Solar Energy सोलर पावर यानि सौर उर्जा की ओर जाना होगा। आज हम इस पोस्ट में निम्न बातों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

सोलर पावर क्या होता है

Best Battery Brand's

Best Inverter 

सोलर पैनल खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें

सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं

घर के लिए कौनसा सोलर पैनल खरीदें

OFF Grid सोलर सिस्टम क्या है

ON Grid सोलर सिस्टम क्या है

बैटरी कौनसी लेनी चाहिए

इनवर्टर कौनसा लेना चाहिए


दोस्तों प्रमुख रूप से सोलर सिस्टम को दो भागों में बांटा गया है।

OFF Grid, ON Grid Solar System

दोस्तों यदि आप ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम को चुनते हैं तो आपको सोलर पैनल, इनवर्टर और बैटरी का उपयोग करना होगा। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का उपयोग ऐसी जगह पर किया जाता है, जहां बिजली कम समय के लिए आती हो। ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम में बैटरी बैकअप लिया जा सकता है। जिसकी मदद से  मेन सप्लाई बंद होने पर भी घर के विद्युत उपकरण चला सकते हैं। इसके अलावा ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम का उपयोग वहां भी किया जा सकता है जहां बिजली कनेक्षन ही नहीं है। ऐसे में दिन में सोलर पैनल की मदद से बैटरी चार्ज कर सकते हैं और बैटरी में संचित उर्जा का उपयोग रात के समय विद्युत उपकरण चलाने में लिया जा सकता है।

अब बात करते हैं ON Grid System के बारे में।

दोस्तों ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम का उपयोग वहां किया जा सकता है जहां पहले से ही बिजली का कनेक्षन हो रखा हो। यानि आॅन ग्रिड सिस्टम लगाने के लिए बिजली आपूर्ति पहले से होना जरूरी है। यदि बिजली आपूर्ति बंद हो जाती है तो आॅन ग्रिड सिस्टम भी बंद हो जाता है। इसका सीधा सा अर्थ है कि आॅन ग्रिड सोलर सिस्टम से आप बिजली की बचत कर सकते हैं, जिससे आपके लाखों रूपए बच सकते हैं। लेकिन आपको इससे किसी प्रकार की बिजली नहीं मिलती। आइये बताते हैं कैसे।

सबसे पहले तो यह जान लें कि ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम में आपको केवल सोलर पैनल और इनवर्टर की जी जरूरत होती है। इसमें आपको बैटरी की जरूरत नहीं है। क्योंकि हमें यहां किसी प्रकार का बिजली का संचय नहीं करना। आॅन ग्रिड सोलर सिस्टम में इनवर्टर की सहायता से सभी विद्युत उपकरण चलाए जा सकते हैं। हां अगर बिजली आपकी जरूरत से अधिक ज्यादा हो तो आप इसे बेचकर अतिरिक्त इनकम भी कर सकते हैं।
अब यह क्लीयर हो गया होगा कि अगर आप को बैटरी बैकअप की जरूरत है तो आपको ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना है और यदि बिजली बचानी है और बिजली बेचकर पैसे कमाने हैं तो आॅन ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाना पडेगा।

सोलर पैनल कौन सा लगवाएं

आॅफ ग्रिड और आॅन ग्रिड समझने के बाद अब आपको यह जानना जरूरी है कि सोलर पैनल कौन सा लगवाना है। यहां आप जान लें कि सोलर पैनल भी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।

Monocrystalline Solar Panel

और 

Polycrystalline Solar Panel

मोनोक्रिस्टेलाईन और पाॅलिक्रस्टेलाईन

Monocrystalline Solar Panel 




मोनोक्रिस्टेलाईन सोलर पैनल वहां काम आते हैं जहां मौसम अधिकांषतः खराब रहता है। या फिर सूरज कम समय के लिए दिखाई देता है, या सूर्य की रोषनी बार-बार कम हो जाती है। यहां मोनोक्रिस्टेलाईन सोलर पैनल लगाने का लाभ यह है कि ये पैनल कम धूप में भी अच्छा कार्य करते हैं और पाॅलिक्रिस्टेलाईन के मुकाबले ज्यादा प्रभावकारी होते हैं।

Polycrystallline Solar Panel 



पाॅलिक्रिस्टेलाईन सोलर पैनल का उपयोग वहां किया जाता है जहां धूप अच्छी आती है और सूर्य अधिक देर के लिए चमकता है, लेकिन इनकी प्रभावषीलता मोनोक्रिस्टेलाईन से कम होती है। यही कारण है कि इनका रेट भी कम होता है।

कितने वाॅट का सोलर सिस्टम लगवाएं

जब हम सोलर सिस्टम खरीदने का मूड बना लेते है तो यह तय करना मुष्किल हो जाता है कि कितने वाॅट का लगवाना है। इसके लिए हम आपको यहां पूरा गणित बता रहे हैं।

इसके लिए पहले तो आप यह पता कर लें कि आपके घर में बिजली से चलने वाले कितने उपकरण हैं और  आपको सोलर सिस्टम से इनमें से कौन-कौन से उपकरण चलाने हैं। फिर इन उपकरणों का विद्युत लोड जोड लें। जो भी कुल योग आता है उससे 500 वाॅट अधिक का सोलर सिस्टम लगवाएं।

यानि मान लें आपको सोलर सिस्टम पर 1500 वाॅट का लोड चलाना है तो आपको कम से कम 2000 वाॅट का सोलर सिस्टम लगवाना होगा। यह इसलिए कि कोई भी सोलर सिस्टम पूरी क्षमता का 80 से 85 प्रतिषत तक ही काम करते हैं। यदि आप ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाते हैं तो आपको बैटरी को चार्ज करने के लिए भी बिजली की जरूरत पडेगी।

जब आपकी विद्युत सप्लाई बंद हो जाएगी तो यह बैटरी ही आपको बैकअप देगी। इसलिए 2000 वाॅट से अधिक का सोलर सिस्टम लगवाना पडेगा। यानि आपको कम से कम 2500 वाॅट का सोलर सिस्टम लगवाना पडेगा। ताकि बैटरी सप्लाई बंद होने के बाद बराबर विद्युत आपूर्ति देती रहे। इतना ही नहीं यदि आप बैटरी पर लंबे समय तक उपकरणों को चलाना चाहते हैं तो बैटरियों की संख्या और बढानी पडेगी जो कि लोड और क्षमता के हिसाब से होगी।

मान लीजिये आपको 150 एएच की बैटरी 4 घंटे का बैकअप देती है और आपको बैकअप चाहिए 8 घंटे का तो आपको 150-150 एएच की दो बैटरियों की जरूरत होगी। इसी प्रकार संख्या बढती रहेगी। इससे एकमुष्त बैटरी का खर्च भी बढेगा।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad