Study Methods of Education Psychology : शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियां - NEWS SAPATA

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Wednesday, February 7, 2018

Study Methods of Education Psychology : शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियां

Study Methods of Education Psychology

शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियां

Important Question For TGT, PGT, PRT, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, UPSC from education physiology.



शिक्षा मनोविज्ञान के तहत अध्ययन की अनेक विधियां हैं। इन विधियों में कुछ प्राचीन हैं तो कुछ नई विधियां है। सभी विधियां एक दूसरे से अलग हैं और इनमें से विधियों के नाम और उनके प्रवर्तकों के संबंध में सवाल पूछे जाते हैं। ये वे विधियां हैं जिनमें से सवाल लगातार आते रहे हैं। सभी परीक्षाओं में ये विधियां समान रूप से उपयोग साबित हुई हैं। यहां मैने प्रयास किया है कि प्रमुख विधियों, उनके प्रवर्तकों और उनकी विशेष बातों को एक टेबल के माध्यम से आपको समझा सकूं। विस्तार से आगे बताऊंगा।

शिक्षा मनोविज्ञान की अध्ययन विधियों की टेबल देखने के लिए यहां क्लिक करें


विधि
प्रवर्तक
विशेष बातें
1
अन्त:दर्शन विधि
विलियम वुंड तथा टिचनर
अन्त:दर्शन का अर्थ है अंदर की ओर देखना। इस विधि में स्वयं के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है। यह मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि बताई जाती है। इसे आत्मनिरीक्षण विधि भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति स्वयं की मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करता है।
2
रेटिंग स्केल विधि

सर्वप्रथम प्रयोग इंडियाना की न्यू होम कॉलोनी में किया गया

इस विधि में किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं विशिष्ट गुणों का मूल्यांकन उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से उनके विचार लेकर किया जाता है। यानि किसी व्यक्ति के बारे में उसके साथियों से पूछकर पता लगाया जाता है कि उसका व्यवहार कैसा है और ऐसा है तो क्यों है।

3
बहिर्दर्शन विधि

जेबी वाटसन

वाटसन व्यवहारवाद के जनक थे। इस विधि में अन्य किसी व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है।

4
जीवनवृत विधि

टाइडमैन

इस विधि में केस हिस्ट्री पर ध्यान दिया जाता है। यह विधि चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी है, लेकिन आजकल इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इस विधि का मुख्य उददेश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारणों की खोज करना है।

5
मनोविश्लेषण विधि

सिग्मंड फ्रायड

यह विधि मन के विश्लेषण पर आधारित है और इसमें व्यक्ति के अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है।

6
प्रश्नावली विधि

वुडवर्थ
इस विधि के माध्यम से एक ही समस्या पर अनेक व्यक्तियों की राय ली जाती है। यानि एक ही समस्या पर विभिन्न व्यक्तियों के विचार जाने जाते हैं।

7
समाजमीति विधि

प्रवर्तक:- जेएल मोरिनो

इस विधि का प्रयोग समाज मनोविज्ञान में किया जाता है। यह एक नवीन विधि है।

8
प्रयोगात्मक विधि या परीक्षण विधि

विलियम वुण्ट

इस विधि में चरों और घटनाओं के मध्य सम्बन्धों की की खोजबीन की जाती है। यानी चरों और घटना के बीच सम्बंध का पता लगाया जाता है।

1 अन्त:दर्शन विधि

प्रवर्तक:- विलियम वुंड तथा टिचनर
अन्त:दर्शन का अर्थ है अंदर की ओर देखना। इस विधि में स्वयं के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है। यह मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि बताई जाती है। इसे आत्मनिरीक्षण विधि भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति स्वयं की मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करता है।

2 बहिर्दर्शन विधि

प्रवर्तक:- जेबी वाटसन
वाटसन व्यवहारवाद के जनक थे। इस विधि में अन्य किसी व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किया जाता है।

3 जीवनवृत विधि

प्रवर्तक:- टाइडमैन
इस विधि में केस हिस्ट्री पर ध्यान दिया जाता है। यह विधि चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत उपयोगी है, लेकिन आजकल इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इस विधि का मुख्य उददेश्य व्यक्ति के किसी विशिष्ट व्यवहार के कारणों की खोज करना है।
जैसे कोई बच्चा पढऩे में बहुत कमजोर या बहुत तेज है तो इस विधि से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि इसके पीछे कारण क्या है।

4 मनोविश्लेषण विधि

प्रवर्तक:- सिग्मंड फ्रायड
यह विधि मन के विश्लेषण पर आधारित है और इसमें व्यक्ति के अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है।

5 प्रश्नावली विधि

प्रवर्तक:- वुडवर्थ
इस विधि के माध्यम से एक ही समस्या पर अनेक व्यक्तियों की राय ली जाती है। यानि एक ही समस्या पर विभिन्न व्यक्तियों के विचार जाने जाते हैं।

6 समाजमीति विधि

प्रवर्तक:- जेएल मोरिनो
इस विधि का प्रयोग समाज मनोविज्ञान में किया जाता है। यह एक नवीन विधि है।

7 प्रयोगात्मक विधि या परीक्षण विधि

प्रवर्तक:- विलियम वुण्ट
इस विधि में चरों और घटनाओं के मध्य सम्बन्धों की की खोजबीन की जाती है। यानी चरों और घटना के बीच सम्बंध का पता लगाया जाता है।

8 रेटिंग स्केल विधि

सर्वप्रथम प्रयोग इंडियाना की न्यू होम कॉलोनी में किया गया
इस विधि में किसी व्यक्ति के व्यवहार एवं विशिष्ट गुणों का मूल्यांकन उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से उनके विचार लेकर किया जाता है। यानि किसी व्यक्ति के बारे में उसके साथियों से पूछकर पता लगाया जाता है कि उसका व्यवहार कैसा है और ऐसा है तो क्यों है।

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