Classification of Learning Principles
अधिगम के सिद्धांतों का वर्गीकरण
अधिगम समझने के बाद यह जरूरी हो जाता है कि हम इसके वर्गीकरण को भी समझ लें। अधिगम के सिद्धांत दो वर्गों में बांटे गए हैं।
1 संबंधवादी या व्यवहारवादी सिद्धांत
इसे परिधीय अथवा साहचर्य का सिद्धांत भी कहते हैं। इस सिद्धांत में सीखने की प्रक्रिया के तहत उद्दीपक और अनुक्रिया के मध्य संबंधों को स्पष्ट किया जाता है और यह सिद्धांत व्यवहारवादी संप्रदाय से प्रभावित है। व्यवहार वाद के जनक जेबी वाटसन थे।
जब भी हम अधिगम करते हैं या किसी चीज को सीखते हैं तो उसके लिए क्रिया करते हैं। इस क्रिया के दौरान अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही तरीके की वस्तुओं की उपस्थिति हमारे समक्ष रहती है। ऐसे में सीखने की क्रिया का इन सभी वस्तुओं से साहचर्य स्थापित हो जाता है और अधिगम क्रिया इससे प्रभावित होती है। इससे मनुष्य या पशु पक्षियों के व्यवहार पर भी प्रभाव पड़ता है।
अब इसके अंतर्गत भी पांच सिद्धांत हैं, जिन्हें हम नीचे देखेंगे:-
1 थार्नडाइक का संबंधवाद
संयोजनवाद, साहचर्यवाद और उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धांत इसके अन्य नाम हैं।
2 पावलव का शास्त्रीय अनुबंध का सिद्धांत
3 स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुबंधन का सिद्धांत
4 हल का प्रबलन या पुनर्बलन का सिद्धान्त
5 गुथरी का समीपता का सिद्धांत
2 संज्ञानात्मक सिद्धांत:-
यह गेस्टाल्ट संप्रदाय से प्रभावित सिद्धांत है और सीखने की प्रक्रिया में उद्देश्य, समझ, सूझ की आवश्यकता पर बल देता है।
इसके भी पांच सिद्धांत हैं:-
1 अंतर्दृष्टि सिद्धान्त - वुंट, स्किनर
2 चिह्न आकार अधिगम सिद्धांत - टॉलमैन
3 क्षेत्र सिद्धांत - कुर्ट लेविन
4 अधिगम का सोपानिकी सिद्धांत - गेने
5 सामाजिक अधिगम - बांडुरा
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