Classical Conditioning, अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत - NEWS SAPATA

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Thursday, February 15, 2018

Classical Conditioning, अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत

अधिगम के सिद्धांत Theory of learning 

Classical Conditioning, अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत


प्रवर्तक:- यह सिद्धांत रूस के इवान पैत्रोविच पावलव ने दिया था। इन्हें आईपी पावलव के नाम से भी जानते हैं। यू मूल रूप से शरीर शास्त्री थे।
अन्य नाम:- इस सिद्धांत का अन्य नाम पुरातन अनुबंध का सिद्धांत, परंपरागत अनुकूलन का सिद्धांत भी कहा जाता है।
यह सिद्धांत कहता है कि सीखना एक अनुकूलित अनुक्रिया है।
इस सिद्धांत को समझने के लिए हमें कुछ शब्दों और उनके अर्थ को समझना होगा।

अनुकूलन :- Conditioning


अस्वाभाविक उद्दीपन के साथ स्वाभाविक अनुक्रिया होना ही अनुकूलन कहलाता है।

अनुबंधन:-


अस्वाभाविक उद्दीपन द्वारा स्वाभाविक अनुक्रिया होना अनुबंध कहलाता है।
अब पावलन के कुत्ते पर किए गए प्रयोग को समझते हैं। पावलव ने एक कुत्ते को चैन से बांध दिया। इसके बाद उसने घंटी बजाई और इसके बाद कुत्ते को भोजन दिया। भोजन देखकर कुत्ते के मुंह में लार आना स्वाभाविक है। लेकिन जब पावलव ने लगातार ऐसा किया कि पहले घंटी बजाई फिर भोजन दिया। तो कुत्ते ने मन में यह बात बिठा ली कि घंटी के तुरंत बाद उसे भोजन मिलने वाला है। एक स्थिति ऐसी बन गई कि केवल घंटी सुनकर ही कुत्ते के मुंह में लार आने लगी।

संबंध सहज क्रिया:-


इस प्रयोग के बाद पावलव कहता है कि केवल घंटी सुनकर कुत्ते के मुंह में लार का आना सम्बद्ध सहज क्रिया है।
इस प्रयोग के बाद दो स्थितियां बनती हैं।

अनुबंध से पूर्व की स्थिति और अनुबंध केबाद की स्थिति



1 अनुबंध के पूर्व की स्थिति:-

अनुबंध क्या है यह मैं ऊपर बता चुका हूं। ध्यान से पढ़ लें। अनुबंध से पूर्व हम देखते हैं कि अनानुबंधित  उद्दीपक Unconditioned Stimulus (U.S.) भोजन है क्योंकि भोजन को देखकर ही कुत्ते के मुंह में लार आती है। लार अनानुबंधित अनुक्रिया Unconditioned Response (U.R.)  है। घंटी यहां अनुबंधित या कृत्रिम उद्दीपक Conditioned Stimulus (C.S.) है।

2 अनुबंध के बाद की स्थिति:-


जब कुत्ते के समक्ष पहले घंटी बजाना और इसके बाद भोजन देने की प्रक्रिया की गई तो एक समय ऐसा आया कि केवल घंटी की आवाज सुनकर ही कुत्ते के मुंह में लार आने लगी।
इस स्थिति में घंटी को अनुबंधित उद्दीपक Conditioned Stimulus (C.S.)  कहा जाएगा। लार आना अनुबंधित अनुक्रिया Conditioned Response (C.R.) कही जाएगी। इस प्रकार के अनुबंधन को पावलव ने प्राचीन अनुबंधन Classical conditioning कहा है।

प्राचीन अनुबंधन को भी समझ लें:-


जब एक उद्दीपक दूसरे उद्दीपक के आने की सूचना देने वाला बन जाता है तो दोनों के बीच में बने संबंध को प्राचीन अनुबंधन कहा जाता है। जैसे घंटी से कुत्ते ने समझ लिया कि अब भोजन मिलने वाला है।

अन्य उदाहरण:-

जैसे एक बच्चे के हाथ में गुब्बार फूट जाता है और वह तेज आवाज से डर जाता है। अब जब उसे दूसरा गुब्बारा देते हैं तो वह गुब्बारे को लेने से कतराता है।

शिक्षा में इस सिद्धांत के लाभ या प्रयोग या शैक्षिक निहितार्थ:-



1 विद्यार्थियों में भय को दूर करना:- छोटे बच्चों में चूहे, कॉक्रोच आदि के भय को दूर करनाञ
2 अच्छी आदतों का विकास-जैसे बच्चे को जल्दी उठाने के लिए पहले मां लाइट जलाती है फिर कहती है कि जागो बेटा। अगली बार जब मां लाइट जलाती है तो बच्चा खुद ही जाग जाता है। समझ जाता है कि मां जगाने आई है।
3 वस्तुओं के नाम सिखाना- बच्चे को पापा, मामा आदि नाम सिखाना। यह पुरातन अनुभव के जरिये होता है।
4 पशुओं को प्रशिक्षण- चाबुक आदि से सर्कस के जानवरों को विभिन्न क्रिया कलाप सिखाए जाते हैं। पहले घोडे के पिछले पैरों पर चाबुक मारे जाते हैं तो वह अगले पैर उठा देता है। चाबुक की मार अनुबंधित उद्दीपक है ओर अगले पैर उठा देना अनुबंधित अनुक्रिया है। बाद में घोड़ा केवल चाबुक की ध्वनि सुनकर ही मार के भय से अगले पैर उठाने लग जाता है।

उम्मीद है कि आप इस सिद्धांत को अच्छी तरह समझ गए होंगे। कोई प्रतिक्रिया है तो नीचे बॉक्स में जाकर दें या फॉलो करें।

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