-देर रात पुलिस की कार्रवाई पार्षद को धरने से उठाकर कराया अस्पताल में भर्ती, जयपुर रैफर, अब चाचा बैठा धरने पर
अलवर। अलवर में गुरुवार रात पुलिस ने यहां धरने पर बैठे एक पार्षद को जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद पार्षद को जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया है। इससे पहले पुलिस कई बार धरना स्थल पर पहुंची लेकिन भीड़ को देखकर पुलिस की हिम्मत नहीं हुई। देर रात पुलिस ने भारी जाब्ते के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
यहां यूआईटी के सामने वार्ड 34 और 39 की समस्याओं को लेकर पार्षद नवजोत भमलोत अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे थे। समस्या नहीं सुने जाने और कोरे आश्वासनों से परेशान पार्षद ने अनशन शुरू कर दिया। देर रात चार थानों के थानाधिकारियों सहित करीब ५० पुलिसकर्मी धरना स्थल पर पहुंचे और पार्षद को धरने से उठने के लिए कहा। पार्षद के मना करने पर पुलिस ने जबरन उठाकर उन्हें यहां सामान्य अस्पताल में भर्ती करा दिया। कोतवाल बनवारी लाल शर्मा का कहना है कि अस्पताल से उन्हें करीब रात पौने तीन बजे जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया।
अब चाचा बैठा धरने पर
नवजोत भमलोत को धरने से उठाने के बाद उनके चाचा और वार्ड 39 के पार्षद सुरजीत भमलोत धरने पर बैठ गए हैं। इससे पहले यूआईटी और नगर परिषद के अधिकारियों ने समस्या समाधान का आश्वासन दिया लेकिन पार्षद का कहना है कि केवल आश्वासन दिए जाते हैं। वार्डों में गंदा पानी भरने की समस्या है। नालियों का निर्माण नहीं किया गया है। यदि जेसीबी से काम शुरू करा दिया जाए तो धरना समाप्त कर दिया जाएगा। लेकिन प्रशासन ने काम शुरू कराने की जगत जबरन पार्षद को अस्प्ताल में भर्ती कराना उचित समझा। इससे पहले करीब पौने ११ बजे भी पुलिस धरना स्थल पर पहुंची थी लेकिन समर्थकों की संख्या अधिक होने के कारण पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाई थी। इस बारे में नगर परिषद के सभापति अशोक खन्ना का कहना है कि समस्याओं का समाधान करा दिया जाएगा। पार्षद को इस संबंध में बता दिया गया था। इसके बाद भी वे धरने पर बैठे थे। उधर नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष नरेन्द्र मीणा का कहना है कि आंदोलन को कुचलने से आंदोलन बंद नहीं होता। जनता को समस्या है तभी तो धरने पर बैठे हैं। सरकार का यह तरीका गलत है।
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