अलवर में सभी पत्रकार संघों ने एक साथ मिलकर ज्ञापन मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम जिला कलेक्टर राजन विशाल को सौंपा। कलेक्टर ने ज्ञापन और पत्रकारों की बात सरकार तक पहुंचाने की बात कही।
विरोध जुलूस की शुरूआत यहां कंपनी बाग में स्थित शहीद स्मारक से हुई। सबसे पहले शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए और फिर वहां से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकाला गया। इस दौरान श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा, जार के अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव, इंडीयन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष स्वदेश कपिल के अलावा काफी संख्या में पत्रकार मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 8 सितम्बर को एक अध्यादेश के जरिये यह सुनिश्चित किया था कि जज, मजिस्टे्रट और लोकसेवकों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज नहीं कराया जा सकता। इसके लिए पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। सरकार ने 180 दिन तक इस मांग को अपने पास लटकाए रखने का जतन भी कर लिया था। यहां तक कि सरकार ने इस अध्यादेश को बिल के जरिये सदन में पारित करवाने की तैयारी भी कर ली थी लेकिन कांग्रेस, पत्रकारों और वकीलों व आमजन के विरोध के चलते सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा।
फिलहाल मामला प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। प्रवर समिति इस पर आगे की कार्रवाई तय करेगी। इस बिल के जरिये सरकार सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन कर धारा 228 बी जोडऩा चाहती थी। बिल में प्रावधान किया गया था कि इस्तगासा के जरिये भी लोकसेवकों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराया जा सकता। न ही कोर्ट प्रसंज्ञान ले सकती थी। इसके अलावा जब तक सरकार मामला दर्ज करने की पर्मिशन नहीं दे दे तब तक मामले में लिप्त अधिकारी कर्मचारी या लोकसेवकों का नाम मीडिया में उजागर नहीं किया जा सकता था। फिलहाल मामला प्रवर समिति के पास है और बिल लटक गया है।
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