ग्राम पंचायत सहायक भर्ती मामले में अलवर में जिला स्तरीय कमेटी फेल
हाईकोर्ट की समय सीमा निकली, कमेटी नहीं कर पाई अभी तक कोई निर्णय
अलवर. ग्राम पंचायत सहायक भर्ती के मामले में हाईकोर्ट की दी गई समय सीमा का भी शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं रखा। हाईकोर्ट ने ग्राम पंचायत सहायक भर्ती का परिणाम आने के बाद परिवेदनाओं का निस्तारण करने के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें सदस्य सचिव जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा ओर सदस्य जिला परिषद के सीईओ को बनाया था। इस कमेटी को जून में तीन माह की समय सीमा दी गई थी। इस समय सीमा में सभी परिवेदनाओं का निस्तारण कर जवाब अभ्यर्थियों के घर लिफाफों में बाई डाक भिजवाना था। लेकिन यह कमेटी अलवर में कोई काम नहीं कर पाई। जबकि पड़ौसी भरतपुर जिले की कमेटी ने परिवेदनाओं का निस्तारण कर जवाब घर भिजवा दिए।
क्या था मामला
पीईईओ के माध्यम से ग्राम पंचायत सहायकों की भर्ती की गई थी। परिणाम आने पर अनेक पंचायतों में पुन: चयन की अभिशंषा की गई थी जबकि सभी जगह ग्रामपंचायत सहायकों का चयन नियमानुसार हो चुका था। लेकिन जिला परिषद ने मनमर्जी करते हुए अनेक पंचायतों में पुन: चयन की अभिशंषा कर दी और उचित कारण भी नहीं बताया। इसे लेकर चयनित अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। जिस पर हाईकोर्ट ने इस जिला स्तरीय कमेटी को तीन माह में मामलों का निस्तारण करने के आदेश दिए थे।
१७ पेज की गाइड लाइन, कहीं नहीं लिखा कि विद्यार्थीमित्रों का ही चयन किया जाए
इस भर्ती को लेकर विद्यार्थी मित्र यह हल्ला यह मचा रहे हैं कि यह विद्यार्थी मित्रों के लिए थी। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग यह हल्ला मचा रहा है कि सरकार ने कोई गाइड लाइन जारी नहीं की। दोनों ही बातें झूठी हैं। पहली बात तो यह है कि इस भर्ती को लेकर सरकार ने १७ पन्नों की गाइड लाइन जारी की है। दूसरी बात यह है कि इस गाइड लाइन में कहीं भी यह जिक्र ही नहीं है कि विद्यार्थीमित्रों का ही चयन किया जाए। गाइड लाइन में केवल ग्राम पंचायत सहायकों के लिए योग्यता निर्धारित की गई है। इस प्रकार दोनों ही बातें पत्रिका की जांच में झूठी पाई गई हैं।
कोर्ट में फिर अटकेगी भर्ती
शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने बयान दिया है कि बची हुई करीब ३००० ग्राम पंचायतों में फिर से आवेदन लेकर भर्ती की जाएगी। जबकि सभी में चयन पहले ही हो चुका है। दूसरी बात यह है कि पहले से चयनितों का निस्तारण किए बिना दूसरी भर्ती नहीं की जा सकती। तीसरी बात यह है कि एक ही भर्ती में अलग अलग नियमों से भर्ती नहीं की जा सकती। यह समानता के अधिकार के हनन के तहत आता है। क्योंकि जिनका चयन किया गया है वह पूर्ण योग्यता के अनुसार किया गया है। ऐसे में जिनका चयन हो चुका है वे फिर कोर्ट में रिट लगाने की तैयारी कर रहे हैं।
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