डेढ़ लाख फ्लड लाइटों से जगमगाता है देश का यह सुनसान इलाका
दोस्तों बीएसएफ ने कहा है कि अगले वर्ष तक भारत पाक सीमा सील हो जाएगी। यह कदम बहुत पहले ही उठ जाना चाहिए था। लेकिन कुछ कारण रहे कि ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन अब यह जरूरी हो गया है। तो आइये जानते हैं कि पहले ऐसा क्यों नहीं हो पाया और अब ऐसा करना क्यों जरूरी हो गया है।
क्या है सीमा रेखा
भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय १९४७ में दोनों के बीच विभाजन रेखा को सीमा रेखा कहते हैं। इसे रेड क्लिफ रेखा के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा एलओसी यानि लाइन ऑफ कंट्रोल भी कहा जाता है। पाकिस्तान की सीमा रेखा राजस्थान, गुजरात और पंजाब से लगती है। पंजाब में वाघा बॉर्डर है जहां प्रतिदिन फ्लैग सेरेमनी देखने हजारों की संख्या में दोनों देशों के लोग ही नहीं विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं। दोनों देशों के बीच जो तनाव है वह यहां फ्लैग सेरेमनी करने वाले सैनिकों की आंखों और हाव भाव से समझा सकता है। राजस्थान से पाकिस्तान की सीमा करीब १०७० किलोमीटर लंबी है।
कैसे होती है अभी सुरक्षा
भारत पाकिस्तान की सीमा के बीच कच्छ का रण, थार का रेगिस्तान, बर्फ और समुद्र यानि की धरती पर पाई जाने वाली सभी परिस्थितियां मौजूद हैं। हमारे जवान इन सब में सीमाओं की रक्षा करते हैं। सीमा रेखा पर तारबंदी की हुई है। इसके अलावा करीब पचास हजार पोल लगाकर डेढ़ लाख फ्लड लाइटें लगाई गई हैं। ऊंट पर सवार गश्तीदल लगातार सीमा रेखा पर सक्रिय रहते हैं और चालीस हजार से अधिक अद्र्धसैनिक बलों की चौकियां सीमा रेखा पर बनाई हुई हैं।
सील करने में दिक्कत क्या
भारत पाकिस्तान की सीमा रेखा को पूरी तरह सील किया जाना काफी मुश्किल है। क्योंंकि रेगिस्तान में ऐसी आंधियां आती हैं कि चौकियां ही अपनी स्थिति बदल देती हैं। यह किसी के वश की बात नहीं कि आंधियों को रोक सके। दूसरा रेगिस्तान में गर्मियों में तापमान ५० डिग्री से ऊपर हो जाता है। ऐसे में वर्दी ही जवानों के लिए मुश्किल बन जाती है। इस पर वहां गश्त करना कितना मुश्किल होता होगा आप महसूस कर सकते हैं। कभी लाइटें खराब होना तो कभी खंबे टूट जाना भी बॉर्डर पर समस्या की तरह है। इसके अलावा स्थानीय चरवाहे कब किस वेश में आतंकवादी निकल आएं कह नहीं सकते। ऐसे में सीमा रेखा को सील किया जाना काफी मशक्कत भरा हो सकता है।
भारत पाक युद्ध
दोनों देशों के बीच युद्ध का कारण घुसपैठ और पाकिस्तान की कश्मीर पर बदनीयती ही है। वह कबालियों के वेश में आतंकवादी भेजता ही रहा है। ऐसे में हमें पाकिस्तान से न चाहते हुए भी तीन युद्ध करने पड़े। पहला वर्ष १९४७ में दूसरा १९७१ में और तीसरा करगिल। इसके बाद भी घुसपैठ नहीं रुकी और इस बार भी पंजाब होते हुए अमरनाथ तक जारी रही। नतीजा यह हुआ कि भारतीय सेनाओं को अपनी अनाक्रमणकारी नीति छोड़ते हुए पाकिस्तान की सीमा में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करनी पड़ी।
No comments:
Post a Comment