आधा घंटा निकालकर सुनें आत्मा की आवाज
समर्पण ध्यान पद्धति के प्रणेता स्वामी शिवकृपानंद का अलवर आगमन उनके अनुयायियों के लिए यादगार पल था। रविवार 19 मार्च को वे यहां प्रताप ऑडिटोरियम में पहुंचे और आध्यात्मिकता की सरिता बहाई। कार्यक्रम में अलवर, बंगलूरू, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, उत्तरप्रदेश से भी उनके अनुयायी शामिल ह़ुए।
यहां समर्पण ध्यान पद्धति के प्रणेता स्वामी शिवकृपानंद ने आध्यात्म की बहुत सरल परिभाषा दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मनुष्य का बौद्धिक स्तर तो बढ़ गया है लेकिन वह अन्र्तमन की आवाज 'आत्माÓ को भूल रहा है। इससे सभी समस्याओं का जन्म होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को प्रतिदिन स्वयं के लिए कम से कम आधा घंटा निकालना चाहिए। इस आधे घंटे में मनुष्य कोअपने भीतरी मार्गदर्शन का अनुसरण करना चाहिए। इससे जीवन को संतुलित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि एक संतुलित मनुष्य के प्रयत्न व परिणाम संतुलित होते हैं।
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