भारत की संविधानसभा
प्रमुख बातेंसंविधान का आधार नेहरू रिपोर्ट थीए जिसे 10 मई 1929 को पंडित मोतीलाल नेहरू ने जारी किया था। किप्स मिशन में पहली बार संविधान के गठन के लिए किसी संस्था के निर्माण की बात कही गई। लेकिन संविधान का निर्माण व अंतरिम सरकार बनाने का कार्य 1946 में केबीनेट मिशन से प्रारंभ हुआ।
संविधानसभा का गठन 1946 को केबीनेट मिशन के पा्रवधानों के अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से राज्य की विधानसभाओं द्वारा किया गया।
कुल सदस्य संख्या 389
ब्रिटिश प्रांतों से 292
चीफ कमिश्नर क्षेत्र से 3
देशी रियासतों से 93
बंटवारे के बाद 324 व अंतिम रूप से 299 रह गई।
बंटवारे के बाद 324 व अंतिम रूप से 299 सीटें रह गई।
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई। सचिदानंद सिन्हा इसके अस्थाई अध्यक्ष थे। दूसरी बैठक 11 दिसम्बर को 1946 को हुई जिसकी अध्यक्षता डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने की। वे ही इसके स्थायी अध्यक्ष भी बने। अगले दिन 13 दिसम्बर को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव से कार्रवाई शुरू की। यह प्रस्ताव 22 जनवरी 1947 को स्वीकृत हुआ। इसके बाद संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां बनाई गई।
समिति व अध्यक्ष
संचालन समिति.डॉ राजेन्द्र प्रसाद
संघ संविधान समिति. पंडित जवाहर लाल नेहरू
प्रांतीय संविधान समिति.सरदार वल्लभभाई पटेल
झंडा समिति व मूल अधिकार उपसमिति.जे बी कृपलानी
.बीएन राव को भारतीय संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार बनाया गया। उन्होंने संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस पर विचार विमर्श के लिए प्रारूप समिति का गठन किया गयाए जिसके अध्यक्ष डॉण् भीमराव अंबेडकर थे।
प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को किया गया था। संविधान सभा के उपाध्यक्ष एचसी मुखर्जी थे।
संविधान के तीन वाचन हुए
प्रथम.4 से 9 नवम्बर 1948
दूसरा.15 नवम्बर 1948 से 17 अक्टूबर 1949
तीसरा.14 नवम्बर 1949 से 26 नवम्बर 1949
26 नवम्बर 1949 को तीसरे वाचन के बाद ही 284 स दस्य वाली संविधान सभा ने संविधान को पारित कर दिया था। संविधान का निर्माण तीन सत्रों में दो वर्ष 11 माह व 18 दिन में पूर्ण हुआ था। संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई। इसी दिन डॉ राजेन्द्र प्रसाद शर्मा को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया था। पूर्ण रूप से संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
एकमात्र हैदराबाद ही वह देसी रियासत थी जिसे संविधान सभा में शामिल नहीं किया गया।
स्वराज बिल बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में प्रस्तुत कियाए जिसमें सर्वप्रथम संविधान सभा के गठन की मांग की गई। इसी में सर्वप्रथम संविधान सभा के सिद्धांत के दर्शन होते हैं।
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