Sanskrit grammar | How do the literary changes in Sanskrit
संस्कृत ग्रामर में वाच्य परिवर्तन करना
संस्कृत में वाच्य परिवर्तन कैसे करते हैं
sanskrit me vachya parivartan
कर्ता, कर्म और क्रिया
सबसे पहले हम कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना सीखते हैं। उदाहरण से समझेंगे तो आसानी होगी।उदा.:-त्वया किं क्रियते ।
मान लीजिये यह उदाहरण है जो कि कर्मवाच्य में दिया गया है। जब इसे कर्तृवाच्य में बदलते हैं तो यह कुछ इस प्रकार बनेगा।त्वं किं करोषि ।
अब समझने की बात यह है कि कहां परिवर्तन हुआ है और वह परिवर्तन कया है।समझने के लिए दोनों वाकयों को एक साथ लिखते हैं:-
त्वया किं क्रियते ।
त्वं किं करोषि ।
(कृ धातु के रूप याद करना जरूरी है ।)
दूसरा उदाहरण देखते हैं:-कर्मवाच्य:-पुत्रेण पिता सेव्यते ।
कर्तृवाच्य:-पुत्र: पितरं सेवते । (यहां खुद पता लगाने का प्रयास करें कि कया कया परिवर्तन हुए हैं ।)
(पितृ शबद और सेव् धातु के रूप याद करना जरूरी है।)
संस्कृत ग्रामर | कर्तृरि वाच्य से भाव वाच्य में परिवर्तन करना
इसे भी उदाहरण से ही समझते हैं।
कर्तृरि वाच्य:-पुष्पाणि विकसन्ति ।
भाव वाच्य:- पुष्पै विकस्यते ।
(पुष्प शबद के रूप याद करें ।)
भाव वाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तित करना
इसे भी उदाहरण से ही समझना सही रहेगा।
भाव वाच्य:- बालकेन क्रिड्यते ।
कर्तृवाच्य :- बालक: क्रीडति ।
क्रिया कर्तानुसार कर्मानुसार प्र.पु.ए.वचन
विशेष बातें:-
-वाच्यों में जिसमें प्रथमा विभकित होती है वही प्रधान होता है या जो प्रधान होता है उसमें प्रथमा विभकित होती है और क्रिया हमेशा जो प्रधान होगा उसके अनुसार ही होगी।-कर्मवाच्य और भाव वाच्य में क्रिया शबद में अकसर ए की मात्रा लगी होगी।
No comments:
Post a Comment