Sanskrit grammar | How do the literary changes in Sanskrit
संस्कृत ग्रामर में वाच्य परिवर्तन करना
संस्कृत में वाच्य परिवर्तन कैसे करते हैं
sanskrit me vachya parivartan
Sanskrit
Vachya parivartan वाच्य परिवर्तन Important questions for Sanskrit
Vachya parivartan TGT, PGT, PRT, REET, CTET, UPTET, HTET, RPSC, NET,
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जब हम वाच्य परिवर्तन करेंगे तो तीन चीजों का विशेष ध्यान रखना है। इन तीन चीजों के बाहर कुछ भी नहीं है। ये तीन चीजें हैं
कर्ता, कर्म और क्रिया
सबसे पहले हम कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना सीखते हैं। उदाहरण से समझेंगे तो आसानी होगी।उदा.:-त्वया किं क्रियते ।
मान लीजिये यह उदाहरण है जो कि कर्मवाच्य में दिया गया है। जब इसे कर्तृवाच्य में बदलते हैं तो यह कुछ इस प्रकार बनेगा।त्वं किं करोषि ।
अब समझने की बात यह है कि कहां परिवर्तन हुआ है और वह परिवर्तन कया है।समझने के लिए दोनों वाकयों को एक साथ लिखते हैं:-
त्वया किं क्रियते ।
त्वं किं करोषि ।
पहले वाकय में कर्ता त्वया है। जो कि तृतीय विभकित में है। इसे प्रथमा विभकित में बदला गया है, जो कि बदल कर त्वं हो गया है।
किं
कर्म है जो कि वैसे का वैसा ही है। क्रियते क्रिया है, जो कि साधारण
क्रिया में बदलकर करोषि हो गई है। क्रिया कर्ता के अनुसार है। यानि कर्ता
मध्यम पुरुष एक वचन है तो क्रिया भी मध्यम पुरुष एक वचन होगी। दूसरी बात
कर्तृरि वाच्य में क्रिया हमेशा साधारण तरीके से लिखी जाएगी।(कृ धातु के रूप याद करना जरूरी है ।)
दूसरा उदाहरण देखते हैं:-कर्मवाच्य:-पुत्रेण पिता सेव्यते ।
कर्तृवाच्य:-पुत्र: पितरं सेवते । (यहां खुद पता लगाने का प्रयास करें कि कया कया परिवर्तन हुए हैं ।)
(पितृ शबद और सेव् धातु के रूप याद करना जरूरी है।)
संस्कृत ग्रामर | कर्तृरि वाच्य से भाव वाच्य में परिवर्तन करना
इसे भी उदाहरण से ही समझते हैं।
कर्तृरि वाच्य:-पुष्पाणि विकसन्ति ।
भाव वाच्य:- पुष्पै विकस्यते ।
कर्तृरि
वाच्य से भाव वाच्य में परिवर्तन करते समय पहली बात तो यह है कि कर्तृरि
वाच्य में कर्ता प्रथमा विभकित में होता है जिसे भाव वाच्य में परिवर्तित
करते समय तृतीय विभकित में बदलते हैं।
दूसरी बात यह है कि
कर्तृरि वाच्य में क्रिया हमेशा एकदम साधारण मिलेगी, जिसे हम अलग तरीके से
लिखेंगे जैसा कि उदाहरण में दिया गया है।(पुष्प शबद के रूप याद करें ।)
भाव वाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तित करना
इसे भी उदाहरण से ही समझना सही रहेगा।
भाव वाच्य:- बालकेन क्रिड्यते ।
कर्तृवाच्य :- बालक: क्रीडति ।
यह
काफी आसान है। पहली बात यह ध्यान रखें कि भाव वाच्य में कर्ता तृतीय
विभकित में है जिसे कर्तृवाच्य में प्रथमा विभकित में बदलना है। दूसरी बात
क्रिया की है। मैं बता चुका हूं कि भाव वाच्य और कर्म वाच्य में क्रिया
साधारण तरीके से नहीं लिखी जाती केवल कर्तृरि वाच्य में ही साधारण तरीके से
लिखते हैं। जैसा की उदाहरण में (क्रिड्यते को क्रीड़ति) किया गया है।
अकर्मकक्रिया कर्तानुसार कर्मानुसार प्र.पु.ए.वचन
विशेष बातें:-
-वाच्यों में जिसमें प्रथमा विभकित होती है वही प्रधान होता है या जो प्रधान होता है उसमें प्रथमा विभकित होती है और क्रिया हमेशा जो प्रधान होगा उसके अनुसार ही होगी।-कर्मवाच्य और भाव वाच्य में क्रिया शबद में अकसर ए की मात्रा लगी होगी।
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