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अलवर से नीतेश सोनी
वर्षा काल में जब आप तालवृक्ष पहुंचेंगे तो आपको प्रकृति बांध लेगी। यहां वे छटाएं आपको देखने को मिलेंगी जिनकी कल्पना ही की जा सकती है। ताल के पेड़ों के नीचे से निकलती जल की असंख्य धाराएं आपके चरण पखारने के लिए मौजूद होंगी। मानों विधाता ने हजारों हजार दासियां आपकी सेवा में थकान मिटाने के लिए तैनात की हैं। ऊपर से वर्षा का रिमझिम बूंदें जब ताल के वृक्षों का रस चू कर आप पर पडेंगी तो महसूस होगा कि इंद्र आपका अभिषेक करने को तत्पर हैं। ताल के वृक्षों के झुरमुटों में वानरों की उछलकूद ऐसा आभास देती हैं कि आपके मनोरंजन के लिए कोई नाटक मंचन किया जा रहा है जिसमें पात्र स्वयं हनुमान जी की सेना है। ताल के वृक्षों पर चढ़कर नीचे तलैया में छलांग लगाना, गोताखोरी और इनकी तैराकी देख हंस-हंस का आप लोटपोट हो जाएंगे और वहां से हटने का मन नहीं करेगा। लेकिन इस वानर सेना से सावधान रहने की भी जरूरत होगी।
तालवृक्ष पार्ट-2: हजारों दासियां जहां आपके चरण पखारने को हैं मौजूद
अलवर से नीतेश सोनी
वर्षा काल में जब आप तालवृक्ष पहुंचेंगे तो आपको प्रकृति बांध लेगी। यहां वे छटाएं आपको देखने को मिलेंगी जिनकी कल्पना ही की जा सकती है। ताल के पेड़ों के नीचे से निकलती जल की असंख्य धाराएं आपके चरण पखारने के लिए मौजूद होंगी। मानों विधाता ने हजारों हजार दासियां आपकी सेवा में थकान मिटाने के लिए तैनात की हैं। ऊपर से वर्षा का रिमझिम बूंदें जब ताल के वृक्षों का रस चू कर आप पर पडेंगी तो महसूस होगा कि इंद्र आपका अभिषेक करने को तत्पर हैं। ताल के वृक्षों के झुरमुटों में वानरों की उछलकूद ऐसा आभास देती हैं कि आपके मनोरंजन के लिए कोई नाटक मंचन किया जा रहा है जिसमें पात्र स्वयं हनुमान जी की सेना है। ताल के वृक्षों पर चढ़कर नीचे तलैया में छलांग लगाना, गोताखोरी और इनकी तैराकी देख हंस-हंस का आप लोटपोट हो जाएंगे और वहां से हटने का मन नहीं करेगा। लेकिन इस वानर सेना से सावधान रहने की भी जरूरत होगी।
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