होली के अवसर पर अलवर में नानकशाही स्वांग निकाला जाता है। इसकी थीम यह है कि सेठ-सेठाणी बाजार में तगादा करने यानि की बकाया वसूली को निकलते हैं। सेठाणी ऊंट पर बैठी शहर की रंगत देखती चलती है और सेठ जी मुनीम जी के साथ हाथ में बहीखाता लेकर चलते हैं। सेठ जी दुकानदारों के पास जाते हैं और तगादा करते हैं। यह सब हास्य व्यंग में होता है। इस तरह पूरे शहर में होली का धमाल चलता रहता है। वेशभूषा, संवाद अदायगी और हाव-भाव इस परंपरा को और चारचांद लगा देते हैं।
Friday, March 10, 2017
अनूठी परंपरा.....होली पर अलवर का नानकशाही स्वांग
होली के अवसर पर अलवर में नानकशाही स्वांग निकाला जाता है। इसकी थीम यह है कि सेठ-सेठाणी बाजार में तगादा करने यानि की बकाया वसूली को निकलते हैं। सेठाणी ऊंट पर बैठी शहर की रंगत देखती चलती है और सेठ जी मुनीम जी के साथ हाथ में बहीखाता लेकर चलते हैं। सेठ जी दुकानदारों के पास जाते हैं और तगादा करते हैं। यह सब हास्य व्यंग में होता है। इस तरह पूरे शहर में होली का धमाल चलता रहता है। वेशभूषा, संवाद अदायगी और हाव-भाव इस परंपरा को और चारचांद लगा देते हैं।
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