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Saturday, January 20, 2018

After midnight, this resthouse was a strange incident : इस रेस्ट हाउस में पांच कमरों में हुआ ऐसा काम कि सुबह देखने वालों की आंखें खुली रह गई

After midnight 2.30 am, this RestHouse was a strange incident

इस रेस्ट हाउस में पांच कमरों में हुआ ऐसा काम कि सुबह देखने वालों की आंखें खुली रह गई




अलवर। अलवर जिले के औद्योगिक कस्बे भिवाड़ी में सेंट्रल मार्केट के पीछे स्थित यूआईटी गेस्ट हाउस के पांच कमरों में पिछली रात कुछ ऐसा हुआ कि सुबह देखने वालों की आंखें खुली की खुली रह गई। ये पांच कमरे बिहार के एक व्यकित ने बुक कराए थे और कुछ राशि एडवांस जमा भी करा दी। उसने आईडी भी जमा कराई, लेकिन इस काम में भी वह रेस्टहाउस के कर्मचारियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो गया। फिर रात को इन पांचों कमरों में कुछ ऐसा हो गया कि सुबह जिसने भी देखा उसकी आंखें खुली की खुली रह गई।

पांच कमरे चाहिए



यूआईटी रेस्ट हाउस प्रबंधक शेरसिंह ने बताया कि शुक्रवार को एक व्यकित रेस्ट  हाउस आया। उसने पांच कमरे दो दिन के लिए बुक कराए। पहचान के रूप में  उसने अपने आधार की फोटो कॉपी जमा कराई और साथ ही एडवांस पांच सौ रुपए भी दिए। उसने रेस्टहाउस कर्मचारियों को बताया था कि वह यहां शटरिंग का ठेका लेता है और उसकी लेबर आने वाली है। उनके लिए उसे पांच कमरे चाहिए। शाम को वह फिर रेस्ट हाउस आया और 2500  रुपए और जमा करा दिए और अपने एक रूम की चाबी लेकर कमरे में चला गया। इसके बाद शाम को उसने करीब साढ़े आठ बजे रेस्ट हाउस में ही खाना खाया। कर्मचारियों ने इस दौरान उससे कहा कि आपके बाकी साथी नहीं आए कया। इस पर उन्हें जवाब मिला कि वे रात तक आ जाएंगे।


रात करीब ढाई बजे तक सब कुछ ठीक था



इस पर कर्मचारियों ने पूछा कि वे खाना खाकर आएंगे कया, कयोंकि यहां रात को साढे दस बजे रेस्टोरेंट बंद हो जाता है। इस पर उस व्यकित ने कहा कि हां वे रात को खाना खाकर आएंगे। आप कमरों की चाबी दे जाओ ताकि उनके आने पर कमरे खोल सकें और वे रात को इन कमरों में सो सकें। इस पर कर्मचारियों ने उसे चाबी दे दी। रेस्ट हाउस में रेस्टोरेंट संचालक महेश तिवाड़ी ने बताया कि रात करीब ढाई बजे तक वे वहीं थे और जाग रहे थे। तब तक सब कुछ ठीक था। इसके बाद वे सोने चले गए।

कमरों की चाबियां वहीं रखी थी और कमरों पर ताले लगे हुए थे




सुबह जब रेस्टहाउस के कर्मचारी ने उसके कमरे में देखा तो वह वहां मौजूद नहीं था, लेकिन कमरे में लगी एलईडी गायब थी। शेष कमरों की चाबियां वहीं रखी थी और कमरों पर ताले लगे हुए थे। शक होने पर कर्मचारी ने प्रबंधक शेरसिंह को सूचना दी और अन्य कमरों के ताले खोल कर देखा तो उनमें भी एलईडी नहीं थी। कर्मचारियों का कहना है कि जिस आईडी की फोटो कॉपी बदमाश ने जमा कराई थी उसमें उसका नाम राकेश कुमार पुत्र उमेश चौधरी, शीतलपाटी, जिला मुजफ्फरपुरख् बिहार लिखा हुआ है। गौर से देखने पर पता चला कि आईडी की कॉपी पर लगा फोटो अलग से पेस्ट किया हुआ है। इस संबंध में रेस्टहाउस संचालक शेरसिंह ने यूआईटी थाने में चोरी का मामला दर्ज करा दिया है। प्रबंधक का कहना है कि चोरी गई एलईडी बड़े साइज की थी और इनकी कीमत करीब सवालाख रुपया है।

कर्मचारियों से कहां हुई गलती

कर्मचारियों से पहली गलती तो यही हुई कि उन्हें ऑरिजनल आईडी जमा करनी थी फोटो कॉपी नहीं। दूसरी गलती यह रही कि उसे शेष चार कमरों की चाबी सौंप दी और खुद बेपरवाह होकर सो गए।


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