अलवर। आपने एक से एक भव्य मंदिर देखे होंगे। लेकिन हमारा दावा है आपने ऐसा मंदिर दुनिया में नहीं देखा होगा। मंदिरों में भगवान की पूजा होती है या फिर नेताओं की। क्योंकि कई मंदिर दक्षिण भारत में हैं जिनमें व्यक्ति पूजा की जाती है। लेकिन हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं हो सकता है वह दुनिया का पहला मंदिर है।
क्या है इस मंदिर में ऐसा
जी हां यह मंदिर है एक शिक्षक का। जहां शिक्षक की प्रतिदिन पूजा होती है। वह भी विधि विधान से। यह मंदिर स्थित है जोधपुर जिले के समीप जीयाबेरी गांव के राउमावि के पास। इस विद्यालय में बजरंगसिंह भाटी सेवारत थे। उनका ब्रेन हेमरेज से विगत 26 जुलाई को स्वर्गवास हो गया था। वर्ष 2011 से वे विद्यालय में नियुक्त थे। ग्रामीणों के अनुसार वे आदर्शवादी और निष्ठावान थे और उनकी छवि बहुत अच्छी थी। उनके निधन के बाद उनकी मूर्ति स्थापित की गई। यह मूर्ति गत 6 सितंबर को विद्यालय के पास स्थित जयशंकर महादेव मठ में की गई है।बना आस्था का केन्द्र
इसके अलावा जीयाबेरी विद्यालय के पास स्थित धूणे पर बना बजरंगसिंह भाटी का मंदिर भी बना हुआ है और यह गांव की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। विद्यालय के विद्यार्थी नियमित रूप से विद्यालय में आने से पहले अपने प्रिय शिक्षक की प्रतिमा के समक्ष नमन कर उन्हें याद करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस धूणे पर रेंवतसिंह इन्दा के सन्न्निध्य में दसवीं के छात्र फोजाराम प्रजापत नियमित रूप से सुबह-शाम यहां पूजा अर्चना करते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि भाटी ने राउमावि में अपनी आदर्श एवं शिष्टाचारी छवि के कारण सभी वर्ग में जगह बनाई। राजकीय विद्यालय को उप्रा से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत करवाने में विशेष सहयोग प्रदान किया वे होली, दिवाली से सर्दियों की छुट्टियों में भी जोधपुर से आकर गांव के बच्चों को निशुल्क पढ़ाया करते थे। इसलिए उनमें लोगों की आस्था है।
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