धुपद गायकी के इस उस्ताद का देखिये अलवर से था क्या कनेक्शन
उनके दादा अल्लाबंदे खान थे जो कि वर्ष १९१२ में अलवर राजदरबार में संगीतज्ञ थे। उस समय महाराजा जयसिंह का राज था। उनके भाई जियाउद्दीन खां डागर उदयपुर के राजदबार की सेवा में थे और वहां धुपद गायन करते थे। डागर घराने की १९ पीढिय़ां संगीत की सेवा में लगी रही। सैयद्दुीन खां डागर उसी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते थे। अल्लाबंदे खान के एक लड़के का नाम हुसैनुद्दीन खान था। वर्ष १९३९ में हुसैनुद्दीन के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। यही आगे चलकर सैयद्दुीन खा डागर के रूप में विख्यात हो गए।
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